क्यों Overthinking हमें अपनी ही कहानी का Villain बना देती है? | Deep Overthinking Psychology
"Overthinking क्यों हमें खुद के ही खिलाफ खड़ा कर देता है? जानिए वो वजहें जो हमें अपनी कहानी का villain महसूस करवाती हैं।"
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| क्यों Overthinking हमें अपनी ही कहानी का Villain बना देती है? |
सच बताऊँ?
Overthinking कभी हमारी सोच नहीं खाता…
ये हमें अंदर से ऐसे चुपचाप खरोंचता है कि एक दिन हम खुद को ही गलत समझने लगते हैं।
कभी सोचा है ऐसा क्यों होता है?
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🌧️ जब दिमाग़ शक करने लगता है… हम खुद के ही दुश्मन बन जाते हैं
कई रातें होती हैं जब हम लेटे होते हैं, आँखें बंद होती हैं, लेकिन दिमाग़ ऐसा भाग रहा होता है जैसे कोई तेज़ रफ्तार ट्रेन।
उसी दौड़ में, हम अपने हर छोटे–छोटे व्यवहार को तोड़–तोड़ कर analyze करते हैं—
“मैंने ऐसा क्यों कहा?”
“शायद उसे बुरा लगा होगा…”
“मैं हमेशा चीज़ें खराब कर देता हूँ।”
धीरे-धीरे, दिमाग़ एक कहानी बनाता है… और हम उस कहानी के villain बन जाते हैं।
किसी और ने नहीं—हमने खुद ने यह role खुद को दे दिया होता है।
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🎭 Reason 1: दिमाग़ negative चीज़ों को जल्दी पकड़ता है
Science कहता है कि हमारा दिमाग़ negative situations को 7x ज्यादा fast process करता है।
क्यों?
क्योंकि बचपन से हमें बचने की training मिली है—
“सावधान रहो… लोगों पर भरोसा मत करो… फ़ालतू बातें मत करो…”
ये सावधानियाँ धीरे-धीरे self–doubt में बदल जाती हैं।
और फिर…
हम हर conversation को ऐसे replay करते हैं जैसे कोई crime scene।
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❤️🩹 Reason 2: हम खुद को बहुत strict judge करते हैं
दूसरों की छोटी mistakes?
— “कोई बात नहीं, हो जाता है।”
अपनी mistake?
— “मैं कितना stupid हूँ यार…”
Duniya में सबसे strict judge कौन होता है?
हम खुद।
हम अपने आपको वहीं hurt करते हैं जहाँ हमें सबसे ज़्यादा फर्क पड़ता है।
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🕳️ Reason 3: जब हम खुद को समझ नहीं पाते, तो खुद से लड़ने लगते हैं
कभी notice किया?
हम दूसरों के emotions को समझने में बहुत expert होते हैं—
लेकिन खुद के feelings को समझने में weakest।
इस confusion में दिमाग़ shortcut खोजता है—
और सबसे आसान इल्ज़ाम हम खुद पर लगा देते हैं।
“गलती मेरी थी…”
“कहीं मैं ही toxic तो नहीं?”
“सब मुझसे दूर क्यों हो जाते हैं?”
आप villain नहीं होते…
आप बस थके हुए होते हैं।
Emotionally। Mentally। Internally।
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🌫️ Reason 4: Overthinking हमसे imaginations को सच जैसा दिखाता है
Overthinking कभी real चीज़ों पर नहीं रुकता।
ये future के डर और past के regrets को मिलाकर एक ऐसी कहानी बनाता है…
जो असल में होती ही नहीं।
लेकिन दिमाग़ उस कहानी को इतना बार replay करता है कि वह real लगने लगती है।
और उस कहानी में villain सिर्फ एक ही होता है—
“आप”
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✨ लेकिन सच क्या है?
आप गलत नहीं हैं…
आप बस बहुत ज़्यादा सोचते हैं।
आप खराब इंसान नहीं…
आप बस हद से ज़्यादा sensitive हैं।
आप villain नहीं…
आप बस खुद को समझने की कोशिश कर रहे हैं।
Overthinkers अक्सर दुनिया के सबसे अच्छे लोग होते हैं—
क्योंकि वे hurt नहीं करना चाहते…
लेकिन गलती इतनी सी है कि सबसे ज़्यादा hurt खुद को कर देते हैं।
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🌟 सीखा क्या? (Life Lesson)
- Overthinking आपको गलत नहीं बनाता, बस unsure बना देता है।
- आपके feelings valid हैं, लेकिन आपकी self-doubt नहीं।
- कहानी में villain आप नहीं—आपका डर है।
- अपने साथ थोड़ा gentle रहिए… आप deserve करते हैं।
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🖤 आख़िरी शब्द
किसी दिन जब आप खुद को judge करने लगें, तो बस इतना याद रखिए—
आप जितना खुद को गलत समझते हैं, उतना गलत कभी थे ही नहीं।
बस सोच ने आपको थका दिया है।
और थके हुए इंसान हमेशा अपनी रोशनी कम आँकते हैं।
— The End —
