हम बार-बार वही लोग क्यों चुनते हैं जो हमें Hurt करते हैं? | Psychology in Hindi
"जानिए क्यों हम बार-बार उन्हीं लोगों को चुन लेते हैं जो हमें hurt करते हैं। Psychology, emotions और hidden patterns को आसान भाषा में समझें।"
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| हम बार-बार वही लोग क्यों चुनते हैं जो हमें Hurt करते हैं? |
कभी आपने notice किया है?
हमारे पास अच्छे लोग भी होते हैं—
जो हमें चाहें, समझें, सम्मान दें…
लेकिन जाने क्यों,
दिल बार-बार उन्हीं लोगों की तरफ खिंचता है
जो हमें अंदर से टूटने पर मजबूर कर देते हैं।
शायद वो अचानक बदल जाते हैं…
शायद हमें अनसुना करते हैं…
या शायद हम उनके लिए उतने important नहीं होते…
फिर भी हम लौटकर उनके पास ही क्यों जाते हैं?
फिर वही बातें, वही उम्मीदें, वही disappointment…
क्या ये हम गलत लोग चुनते हैं?
या दिल हमें गलत direction में ले जाता है?
सच तो इससे कहीं गहरा है।
आज इस पोस्ट में हम उसी सच को धीरे-धीरे,
दिल और दिमाग दोनों से समझेंगे…
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✏️ 1. क्योंकि हम वही love patterns दोहराते हैं जो हमने बचपन में देखे होते हैं
Psychology कहती है:
Childhood ≠ केवल बचपन
Childhood = हमारी पूरी life का foundation
अगर बचपन में—
- love inconsistent मिला हो
- parents emotionally unavailable हों
- attention कभी मिले, कभी न मिले
- प्यार conditional मिला हो (“अगर ये करो, तभी प्यार मिलेगा”)
तो दिमाग subconsciously इसी pattern को “normal love” समझ लेता है।
इसलिए जब बड़े होते हैं,
हम उसी तरह के लोग attract करते हैं
जो हमें emotionally confuse करें।
क्योंकि दिमाग को वही familiarity चाहिए—
even अगर वो painful हो।
यही reason है:
हम replicate करते हैं, choose नहीं।
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✏️ 2. सबसे ज्यादा hurt वही लोग करते हैं जिनसे हम सबसे ज्यादा उम्मीद रखते हैं
कभी किसी unknown ने hurt किया?
नहीं।
Hurt वहीं करता है—
जिससे हमने उम्मीद लगाई होती है।
हम बार-बार वही लोग चुनते हैं जो हमें hurt करते हैं क्योंकि—
हमने उनके साथ एक emotional imagination बना रखी होती है।
दिमाग उस imagination को छोड़ना नहीं चाहता।
क्योंकि उस इंसान को खोने का डर
उस इंसान के साथ pain से भी बड़ा लगता है।
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✏️ 3. हमारा दिल ‘potential’ देखता है, ‘reality’ नहीं
बहुत बार हम जिस person को चुनते हैं
वो person नहीं होता—
वो उसकी potential version होता है।
हम सोचते हैं:
- “शायद वो बदल जाएगा…”
- “शायद उसे भी मुझे खोने का डर लगेगा…”
- “शायद एक दिन वो value समझेगा…”
- “वो बुरा नहीं है, बस वक्त खराब है…”
हम उनकी कुछ अच्छी moments को पकड़ कर
उनकी पूरी personality को justify करते रहते हैं।
इसलिए हम वही person बार-बार choose करते हैं—
क्योंकि हमें उसके ‘होने वाले version’ से प्यार हो जाता है,
ना कि उसके real version से।
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✏️ 4. दिल stability नहीं, familiarity चाहता है
दिमाग कहता है:
“तेरे लिए अच्छा ये person है।”
दिल कहता है:
“लेकिन जान-पहचान वाला दर्द ज्यादा familiar है।”
Psychology में इसे कहते हैं:
Trauma Bonding
मतलब—
हम pain देने वालों से भी जुड़ जाते हैं,
क्योंकि उनका behavior हमें familiar लगता है।
रिश्ता कितना भी toxic हो,
दिल छोड़ने नहीं देता।
क्यों?
क्योंकि unfamiliar peace
हमें unsafe लगता है…
और familiar pain
“home” जैसा।
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✏️ 5. हम खुद को prove करना चाहते हैं कि हम lovable हैं
जब कोई हमें hurt करता है—
तो हम अपने आप से सवाल पूछते हैं:
“मैं क्यों enough नहीं हूँ?”
“मैं क्यों important नहीं हूँ?”
“मैं क्यों replace हो जाता हूँ?”
इसी insecurity से हम फिर उसी इंसान के पीछे जाते हैं—
क्योंकि अगर वही इंसान एक दिन appreciate (प्रशंसा) कर दे…
तो हमें लगेगा:
“हाँ, मैं अभी भी lovable हूँ।”
ये प्यार नहीं—
self-worth की लड़ाई है।
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✏️ 6. क्योंकि कुछ लोग addictive होते हैं
ज़हर भी आदत बन जाता है—
अगर रोज थोड़ा-थोड़ा मिले।
कुछ लोग ऐसे होते हैं,
जो हमें 10% प्यार देते हैं
और 90% confusion।
और हमारा दिमाग उसी 10% को पकड़ लेता है।
- कभी-care
- कभी-ignore
- कभी-cute बातें
- कभी-deep silence
ये emotional rollercoaster दिमाग में एक तरह की addiction बना देता है।
Slow and stable लोग हमें boring लगते हैं…
क्योंकि हम adrenaline के आदी हो चुके होते हैं।
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✏️ 7. हम उस love को chase करते हैं जो हमें पूरी तरह मिलता नहीं
सबसे ज्यादा value हम उसी चीज़ को देते हैं
जो दूर हो…
इंसान nature से ही
“unavailable things” को ज्यादा चाहना शुरू कर देता है।
जब कोई आसानी से मिलता है—
mind उसे lightly लेता है।
जब कोई दूर चला जाता है—
mind उसे heavy बना देता है।
इसलिए हम बार-बार वही people choose करते हैं
जो easily नही मिलते—
क्योंकि दिमाग सोचता है:
“जो मुश्किल है, वही valuable है।”
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✏️ 8. हम अपनी emotional wounds को उसी person से heal करना चाहते हैं जिसने चोट दी
ये सबसे painful truth है।
हम उस इंसान को बदलने की कोशिश करते हैं
जिसने हमें hurt किया।
क्यों?
क्योंकि अगर वही इंसान एक दिन care करने लगे—
तो हमारी biggest insecurity heal हो जाएगी।
लेकिन ironically (विडम्बना की बात ये है कि)…
जो हमें hurt करता है, वही हमें heal कभी नहीं कर सकता।
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✏️ 9. दिल को “closure” नहीं बल्कि “hope” चाहिए होती है
हम छोड़ना नहीं चाहते।
हम उम्मीद लगाकर बैठे रहते हैं:
“शायद बात कर ले…”
“शायद एक दिन समझेगा…”
“शायद एक दिन वापस आ जाएगा…”
लेकिन हर “शायद” दिल को और घाव देता है।
दिल closure नहीं चाहता—
क्योंकि closure final होता है।
दिल hope चाहता है—
भले वो गलत हो।
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✏️ 10. कभी-कभी, हम खुद को ही hurt करने की आदत डाल लेते हैं
कुछ लोग इतने sensitive, so deep-hearted होते हैं
कि वो प्यार में अपना सब कुछ दे देते हैं।
और जिनके दिल soft होते हैं—
उन्हें सबसे ज्यादा चोट मिलती है।
धीरे-धीरे ये आदत बन जाती है—
गलत लोगों को चुनने की।
क्योंकि दिल ने खुद को कहना शुरू कर दिया:
“शायद मुझे इसी तरह का प्यार मिलता है…”
लेकिन नहीं भाई—
आप इससे कहीं ज़्यादा deserve करते हो।
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⭐ अंत में एक बात…
अगर आप भी बार-बार उन लोगों को चुन लेते हो
जो आपको hurt करते हैं—
तो इसका मतलब ये नहीं कि
आप गलत हो…
या आप कमजोर हो…
या आपच्या choice खराब है…
इसका मतलब सिर्फ एक है:
आपका दिल सच्चा है।
लेकिन आपकी healing बाकी है।
आप किसी ऐसे इंसान के लायक हो
जो आपको confuse नहीं,
complete करे।
जो आपको hurt नहीं,
heal करे।
और एक दिन,
आप उसी जगह खुद को लौटते हुए पाएँगे
जहाँ आपका दिल finally safe महसूस करेगा।
— The End —
